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Showing posts from April, 2023

Ancient Indian History

  Ancient Indian History Table of Contents (Click on Topic)  1.  Lecture 1- Introduction(Stone Age)   2. Lecture 2- Harappa civilization 3. Lecture 3- Vedic Age 4. Lecture 4- Jainism 5. Lecture 5- Buddhism 6. Lecture 6- Mahajanapads 7. Lecture 7- Mauryan Empire 8. Lecture 8- 

Economy

  Economy Table of Contents (Click on Topic)  1. Lecture 1- Introduction 2. Lecture 2- Sectors of Economy 3. Lecture 3- Economic Indicators 4. Lecture 4- Evolution of Indian Economy 5. Lecture 5- Appendix 1- Self Help Group Appendix 2- Poverty Appendix 3- Bad Bank

श्री सीता चालीसा

  श्री सीता चालीसा ॥ दोहा ॥ बन्दौ चरण सरोज निज जनक लली सुख धाम, राम प्रिय किरपा करें सुमिरौं आठों धाम ॥ कीरति गाथा जो पढ़ें सुधरैं सगरे काम, मन मन्दिर बासा करें दुःख भंजन सिया राम ॥ ॥ चौपाई ॥ राम प्रिया रघुपति रघुराई बैदेही की कीरत गाई ॥ चरण कमल बन्दों सिर नाई, सिय सुरसरि सब पाप नसाई ॥ जनक दुलारी राघव प्यारी, भरत लखन शत्रुहन वारी ॥ दिव्या धरा सों उपजी सीता, मिथिलेश्वर भयो नेह अतीता ॥ 4 सिया रूप भायो मनवा अति, रच्यो स्वयंवर जनक महीपति ॥ भारी शिव धनु खींचै जोई, सिय जयमाल साजिहैं सोई ॥ भूपति नरपति रावण संगा, नाहिं करि सके शिव धनु भंगा ॥ जनक निराश भए लखि कारन , जनम्यो नाहिं अवनिमोहि तारन ॥ 8 यह सुन विश्वामित्र मुस्काए, राम लखन मुनि सीस नवाए ॥ आज्ञा पाई उठे रघुराई, इष्ट देव गुरु हियहिं मनाई ॥ जनक सुता गौरी सिर नावा, राम रूप उनके हिय भावा ॥ मारत पलक राम कर धनु लै, खंड खंड करि पटकिन भू पै ॥ 12 जय जयकार हुई अति भारी, आनन्दित भए सबैं नर नारी ॥ सिय चली जयमाल सम्हाले, मुदित होय ग्रीवा में डाले ॥ मंगल बाज बजे चहुँ ओरा, परे राम संग सिया के फेरा ॥ लौटी बारात अवधपुर आई, तीनों मातु करैं नोराई ॥ 16 कैके

श्री राधा चालीसा

    श्री राधा चालीसा  ।।दोहा।। श्री राधे वुषभानुजा, भक्तनि प्राणाधार । वृन्दाविपिन विहारिणी , प्रणवो बारम्बार ।। जैसो तैसो रावरौ, कृष्ण प्रिय सुखधाम । चरण शरण निज दीजिये सुन्दर सुखद ललाम ।। ।।चौपाई।। जय वृषभानु कुँवरी श्री श्यामा, कीरति नंदिनी शोभा धामा । नित्य बिहारिनी रस विस्तारिणी, अमित मोद मंगल दातारा ।। राम विलासिनी रस विस्तारिणी, सहचरी सुभग यूथ मन भावनी । करुणा सागर हिय उमंगिनी, ललितादिक सखियन की संगिनी ।। 4 दिनकर कन्या कुल विहारिनी, कृष्ण प्राण प्रिय हिय हुलसावनी । नित्य श्याम तुमररौ गुण गावै, राधा राधा कही हरशावै ।। मुरली में नित नाम उचारें, तुम कारण लीला वपु धारें । प्रेम स्वरूपिणी अति सुकुमारी, श्याम प्रिया वृषभानु दुलारी ।। 8 नवल किशोरी अति छवि धामा, द्दुति लधु लगै कोटि रति कामा । गोरांगी शशि निंदक वंदना, सुभग चपल अनियारे नयना ।। जावक युत युग पंकज चरना, नुपुर धुनी प्रीतम मन हरना । संतत सहचरी सेवा करहिं, महा मोद मंगल मन भरहीं ।। 12 रसिकन जीवन प्राण अधारा, राधा नाम सकल सुख सारा । अगम अगोचर नित्य स्वरूपा, ध्यान धरत निशिदिन ब्रज भूपा ।। उपजेउ जासु अंश गुण खानी, कोटिन उमा राम ब्र

श्री कृष्ण चालीसा

  श्री कृष्ण चालीसा   ॥ दोहा ॥ बंशी शोभित कर मधुर, नील जलद तन श्याम। अरुण अधर जनु बिम्बफल, नयन कमल अभिराम॥ पूर्ण इन्द्र, अरविन्द मुख, पीताम्बर शुभ साज। जय मनमोहन मदन छवि, कृष्णचन्द्र महाराज॥ ॥ चौपाई॥ जय यदुनंदन जय जगवंदन। जय वसुदेव देवकी नन्दन॥ जय यशुदा सुत नन्द दुलारे।जय प्रभु भक्तन के दृग तारे॥ जय नटनागर, नाग नथइया॥कृष्ण कन्हइया धेनु चरइया॥ पुनि नख पर प्रभु गिरिवर धारो। आओ दीनन कष्ट निवारो॥ 4 वंशी मधुर अधर धरि टेरौ। होवे पूर्ण विनय यह मेरौ॥ आओ हरि पुनि माखन चाखो। आज लाज भारत की राखो॥ गोल कपोल, चिबुक अरुणारे। मृदु मुस्कान मोहिनी डारे॥ राजित राजिव नयन विशाला। मोर मुकुट वैजन्तीमाला॥ 8 कुंडल श्रवण, पीत पट आछे। कटि किंकिणी काछनी काछे॥ नील जलज सुन्दर तनु सोहे। छबि लखि, सुर नर मुनिमन मोहे॥ मस्तक तिलक, अलक घुँघराले। आओ कृष्ण बांसुरी वाले॥ करि पय पान, पूतनहि तार्यो। अका बका कागासुर मार्यो॥ 12 मधुवन जलत अगिन जब ज्वाला। भै शीतल लखतहिं नंदलाला॥ सुरपति जब ब्रज चढ़्यो रिसाई। मूसर धार वारि वर्षाई॥ लगत लगत व्रज चहन बहायो। गोवर्धन नख धारि बचायो॥ लखि यसुदा मन भ्रम अधिकाई। मुख मंह चौदह भुवन दिखाई॥ 16 दु

शिव ताण्डव स्तोत्र

शिव ताण्डव स्तोत्र शिव ताण्डव स्तोत्र की रचना रावण ने भगवान शिव को  प्रसन्न करने के लिए की थी।  जटा टवी गलज्जलप्रवाह पावितस्थले गलेऽव लम्ब्यलम्बितां भुजंगतुंग मालिकाम्‌। डमड्डमड्डमड्डमन्निनाद वड्डमर्वयं चकारचण्डताण्डवं तनोतु नः शिव: शिवम्‌ ॥1॥ जटाकटा हसंभ्रम भ्रमन्निलिंपनिर्झरी विलोलवीचिवल्लरी विराजमानमूर्धनि। धगद्धगद्धगज्ज्वल ल्ललाटपट्टपावके किशोरचंद्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम ॥2॥ धराधरेंद्रनंदिनी विलासबन्धुबन्धुर स्फुरद्दिगंतसंतति प्रमोद मानमानसे। कृपाकटाक्षधोरणी निरुद्धदुर्धरापदि क्वचिद्विगम्बरे मनोविनोदमेतु वस्तुनि ॥3॥ जटाभुजंगपिंगल स्फुरत्फणामणिप्रभा कदंबकुंकुमद्रव प्रलिप्तदिग्व धूमुखे। मदांधसिंधु रस्फुरत्वगुत्तरीयमेदुरे मनोविनोदमद्भुतं बिंभर्तुभूत भर्तरि ॥4॥ सहस्रलोचन प्रभृत्यशेषलेखशेखर प्रसूनधूलिधोरणी विधूसरां घ्रिपीठभूः। भुजंगराजमालया निबद्धजाटजूटकः श्रियैचिरायजायतां चकोरबंधुशेखरः ॥5॥ ललाटचत्वरज्वल द्धनंजयस्फुलिंगभा निपीतपंच सायकंनम न्निलिंपनायकम्‌। सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरं महाकपालिसंपदे शिरोजटालमस्तुनः ॥6॥ करालभालपट्टिका धगद्धगद्धगज्ज्वल द्धनंजया धरीकृतप्रचंड पंचसायके। धराधर